शुक्र प्रदोष व्रत की कथा, महत्व तथा लाभ

शुक्र प्रदोष व्रत की कथा, महत्व तथा लाभ

 Comments Offon शुक्र प्रदोष व्रत की कथा, महत्व तथा लाभ

प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव के लिए रखा जाता है। इसी कारण सावन के प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।क्योकि सावन भगवान शिव जी का अतिप्रिय महीना है।शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की महा कृपा पाने का दिन है,जो प्रदोष शुक्रवार के दिन आता है उसे शुक्र प्रदोष कहते है।शुक्र प्रदोष व्रत करके कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है। हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। शुक्र प्रदोष का व्रत करके जीवन के समस्त रोग,दोष शोक,कलह, क्लेश दूर होते है। इस व्रत को करने से आँखो के रोग /दाम्पत्य जीवन के कलह आदि को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है तथा मधुमेह रोग में आराम मिलता है।

शुक्र प्रदोष व्रत की कथा-:-

एक नगर में 3 मित्र रहते थे-राजकुमार,ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे।

ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा-‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।’ धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरंत ही उसने अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए है। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता है लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता-पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी।विदाई के बाद पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे।कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे।वहा धनिक पुत्र को सांप ने डंस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो 3 दिन में मर जायेगा।जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें।धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया,जहां उसकी हालत ठीक होती गई यानी शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।

शुक्र प्रदोष का महत्व तथा लाभ -:-

शुक्र प्रदोष का व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। धन-सम्प्रदा की प्राप्ति के योग बनते है। इसके अलावा मान्यता है कि सावन के प्रदोष का व्रत रखने और कामेश्वर शिव का पूजन करने से उत्तम रूप और गुणवान पत्नी की प्राप्ति होतीं है।

तिथि तथा दिन-:-

इस बार सावन शुक्र प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में 20 अगस्त दिन शुक्रवार 2021 को पड़ रहा है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top